बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- बाल कल्याण से सम्बन्ध रखने वाली प्रमुख संस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
अथवा
बाल कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत संयुक्त राष्ट्र संघ शिशु निधि का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
अथवा
बाल कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत विश्व स्वास्थ्य संगठन का वर्णन कीजिए।
अथवा
बाल कल्याण से सम्बन्ध रखने वाली प्रमुख संस्थाएँ कौन-सी है संक्षिप्त परिचय दीजिए।
अथवा
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
अथवा
युनिसेफ के कार्यक्षेत्र क्या है?
अथवा
यूनीसेफ के क्या उद्देश्य है?
अथवा
भारत में यूनीसेफ के क्या कार्य हैं?
अथवा
डब्ल्यू. एच.ओ. के क्या उद्देश्य हैं?
अथवा
WHO के क्या कार्य हैं?
अथवा
विश्व स्वास्थ्य संगठन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर -
बाल कल्याण से सम्बन्ध रखने वाली प्रमुख संस्थायें
बाल कल्याण से सम्बन्ध रखने वाली ऐसी तीन प्रमुख संस्थाऐं हैं-
(i) विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
(ii) राष्ट्र संघ अन्तर्राष्ट्रीय बाल संकट कोष (UNICEF)
(iii) अन्तर्राष्ट्रीय बाल कल्याण संघ (IUCW)
उपरोक्त में से प्रथम दो संस्थाऐं मातृ एवं शिशु स्वास्थ के सम्बन्ध में और देश में पोषण कार्यक्रमों के क्षेत्र में भारत सरकार तथा राज्य सरकारों के माध्यम से अधिक कार्य कर रही है। अन्तर्राष्ट्रीय बाल कल्याण संघ केवल बाल कल्याण की क्रियाओं के सम्बन्ध में सूचना देने का कार्य करता है और इस समस्या पर ध्यान देने के लिए सम्मेलनों का आयोजन करता है।
भारत में अब तक विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा यूनीसेफ ने इस कार्यक्रमों के अन्तर्गत अनेक राज्यों में मातृ एवं बाल स्वास्थ के सम्बन्ध में सहायता पहुँचाई। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने परामर्श, चिकित्सक तथा परिचारिकाओं की सेवाऐं उपलब्ध कराई और यूनीसेफ ने स्वास्थ केन्द्रों तथा राज्य स्वास्थ्य ब्यूरों के लिए समान, उपकरण तथा आवागमन की सुविधाएँ प्रदान की। बाल कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत प्रमुख संस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन निम्नलिखित है-
(1) संयुक्त राष्ट्र संघ शिशुनिधि (UNCEF) - इसका पूरा नाम यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रेन्स फण्ड या यूनीसेफ है। पहले यह यूनाइटेड नेशन्स इण्टरनेशनल चिल्ड्रेन्स इमरजेंसी फण्ड कहलाता था। द्वितीय महायुद्ध के बाद असंख्य बेघर, भूखे कुपोषित बच्चों के कल्याण हेतु आपातकाल में यह संगठन बना था। अब इसके पूरे लम्बे नाम में से आपातकाल में यह संगठन बना था। अब इसके पूरे लम्बे नाम में से International तथा Emergency शब्द हटा दिए गये है। फिर भी इसके अंग्रेजी के संक्षिप्त नाम में आई (I) और ई (E) अभी सम्मिलित हैं।
स्थापना - संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा सन् 1946 में यूनीसेफ की स्थापना हुई। प्रथम चार वर्षों तक इस संगठन ने द्वितीय महा युद्ध की चपेट में आए देशों के बच्चों के कार्य किए। इसके पश्चात् अन्य विकासशील देशों के बच्चों के लिए भी यह संगठन निरन्तर कार्य कर रहा है।
उद्देश्य - जहाँ एक ओर संयुक्त राष्ट्र संघ मानव कल्याण एवं उत्थान के लिए कार्य करता है वहीं यूनीसेफ जैसा संगठन बच्चों के सर्वांगीण विकास का लक्ष्य लेकर चलता है। क्योंकि बच्चों पर ही किसी देश का भविष्य निर्भर करता है। यूनीसेफ के सारे या कलाप, सहायता कार्य प्राथमिक रूप से शिशु स्वास्थ्य पर केन्द्रित है।
गरीबी के कारण अज्ञानता होती है तथा धन के अभाव में निर्धन बच्चे स्कूल नहीं जा पाते है। अज्ञानता के कारण कुपोषण होता है तथा कुपोषण के फलस्वरूप बच्चे विभिन्न रोगों के शिकार हो जाते है। रोगों के फलस्वरूप गरीबी आती है और यह कुचक्र चलता रहता है। इन बातों को दृष्टिकोण में रखकर यूनीसेफ बच्चों की स्वास्थ्य, शिक्षा एवं पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएं पूरी करता है। :
भारत में सर्वप्रथम सन् 1949 में यूनीसेफ के साथ हुए एक अनुबन्ध के अन्तर्गत 150 टन दुग्धचूर्ण वितरण किया था इसी प्रकार आवश्यकता पड़ने पर फल, सब्जियाँ उगाने के लिए उत्तम बीज तथा खेती के उपकरण प्रदान करता है। स्कूल में शिक्षकों-शिक्षिकाओं को तथा युवा वर्ग को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करता है। माँ तथा बच्चों की चिकित्सा सेवा के लिए दवाएँ विटामिन की गोलियाँ, स्वास्थ्य जाँच उपकरण, वाह्य इत्यादि देता है।
यूनीसेफ का कार्यक्षेत्र या कार्यक्रम
यूनीसेफ के निम्नलिखित कार्यक्षेत्र है -
1. मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य हेतु स्वास्थ्य सेवाऐं प्रदान करना तथा इसके सम्बन्ध में प्रशिक्षण देना।
2. ऐसे रोगों पर नियन्त्रण जिससे प्रतिवर्ष अनेक बच्चे प्रभावित होते हैं जैसे मलेरिया, क्षय, कोढ आदि।
3. दुग्ध चूर्ण वितरण के अलावा पोषण के क्षेत्र में अन्य कार्य।
4. बच्चों के लिए सेवा योजनाऐं।
5. भूकंप बाढ़ आदि प्राकृतिक प्रकोपों के समय, युद्धों के समय माताओं और बच्चों को आपातकालीन सहायता प्रदान करना।
भारत में यूनीसेफ के कार्य
भारत में सन् 1949 से सहायता कार्य कर रहा है भारत में यूनीसेफ के कार्य निम्नलिखित हैं-
1. प्रशिक्षण कार्यक्रम - यूनीसेफ ने सर्वप्रथम आलइण्डिया इन्स्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ एण्ड हाइजिन कलकत्ता को मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केन्द्र खोलने के लिए आर्थिक अनुदान प्रदान किया। उसके बाद देश के कई राज्यों मेडिकल कॉलेजों एवं शिशु रोग विभाग के अन्तर्गत डॉक्टरो नर्सों को प्रशिक्षण सुविधाएँ तथा छात्रवृत्तियाँ दी। ये कार्य आज भी जारी है।
2. मातृ एवं शिशु कल्याण तथा ग्रामीण स्वास्थ सेवा - इसके अन्तर्गत तीन हजार से अधिक मातृ एवं शिशु कल्याण केन्द्र आरम्भ करने में इस संगठन ने सहायता दी। ग्रामीण स्वच्छता एवं शुद्ध पेयजल की प्राप्ति के क्षेत्र में भी यूनीसेफ ने काम किए है।
3. स्वास्थ्य सेवा - इस क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य किये -
(i) मलेरिया उन्मूलन - यूनीसेफ ने मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अन्तर्गत डी. डी. टी. का वितरण किया। इसके बाद देश में एशिया का सबसे बड़ा डी.डी.टी. उत्पादन कारखाना दिल्ली के पास स्थापित किया।
(ii) क्षयरोग नियन्त्रण - क्षयरोग उन्मूलन के लिए भारत को यूनीसेफ के माध्यम से सर्वाधिक मात्रा में बी.सी.जी. वेक्सिन, उपकरण तथा वाहन प्राप्त हुए।
(iii) कोढ़ नियन्त्रण - इसके अन्तर्गत स्वास्थ्य मंत्रालय के आग्रह पर कोढ़ उन्मूलन के लिए ड्रेप्सोन टेबलेट, उपकरण एवं वाहन दिये गये।
(iv) ट्रेकोमा - इस रोग के उन्मूलन के लिए पंजाब, गुजरात, राजस्थान प्रान्तों में सहायता प्रदान की।
(v) घेंघा - यूनीसेफ ने इसके लिए राजस्थान में 1600 टन उत्पादन क्षमता वाले आयोडाइजेशन प्लान्ट की स्थापना की। इसकी सहायता से देश के उन भागों में आयोडीन युक्त नमक वितरित किया गया जहाँ घेंघा रोग प्रमुख रूप से फैला है।
(vi) पेनिसिलीन का उत्पादन - पूना के निकट पिम्परी नामक स्थान में यूनीसेफ की सहायता से पेनिसिलीन एन्टीबायोटिक उत्पादन केन्द्र आरम्भ हुआ।
(vii) चेचक उन्मूलन - यूनीसेफ ने फ्तवाड़ा नगर, उत्तर प्रदेश, गिंडी, मद्रास आदि स्थानों पर स्मॉल पॉक्स बेक्सिन प्रयोगशालाएँ स्थापित की गई।
(viii) ट्रिपल वेक्सिन - कसौली में त्रिगुण प्रतिजन अर्थात डिप्थीरिया, काली खाँसी तथा टेटनस के ट्रिपल वैक्सिन के उत्पादन केन्द्र स्थापित किए गये।
4. सेवा पूर्ण प्रशिक्षण - युवा वर्ग को तकनीकी शिक्षा देने के लिए भारत सरकार के विभिन्न मन्त्रालयों की सहायता से प्रशिक्षण प्रबन्ध किया गया।
5. अपंग बच्चों की सहायता - अपंग बच्चों के लिए बम्बई स्थित All India Institute of Medicine and Rehabilitation तथा देहरादून के National institute of blind को उपकरण इत्यादि के रूप में सहायता दी। नेत्रहीनों के स्कूलों में ब्रेले प्रिंटिंग प्रेस खोला गया।
6. पोषण सम्बन्धी कार्यक्रम - यूनीसेफ ने सर्वप्रथम बच्चों के बीच दूध वितरण का कार्य किया। व्यावहारिक पोषाहार कार्यक्रम के अन्तर्गत यूनिसेफ ने भारत सरकार की सहायतार्थ उपज सम्बन्धी औजार पम्प अन्य उपकरण, उत्तम बीजं, मछली उत्पादन में सहायता, मुर्गी पालन में सहायता प्रदान की और प्रशिक्षण दिया बम्बई तथा कोयम्बटूर में प्रोटीन बहुल आहार उत्पादन केन्द्र खोले। नवजात शिशुओं, गर्भवती स्त्रियों, दूध पिलाने वाली माताओं के बीच निःशुल्क दूध का वितरण ग्रामों के सामुदायिक विकास केन्द्रों के माध्यम से करवाया। बच्चों के आहार में नेत्र रोगों से रक्षा के लिए विटामिन 'A' घेंघा से बचने के लिए आयोडीनयुक्त लवण तथा रक्ताल्पता से बचाने के लिए लौहयुक्त गालियों के मुफ्त वितरण का प्रबन्ध भी किया है।
7. परिवार कल्याण - परिवार नियोजन कार्यक्रम को अधिक सफल बनाने के लिए यूपीसेफ ने चौथी पंचवर्षीय योजना के समय बिहार तथा उत्तर प्रदेश को सहायता प्रदान की। समाज कल्याण विभाग तथा इनस्ट्यूट ऑफ पब्लिक एडमीनिशट्रेशन के सहयोग से यूनीसेफ में शहरों में बच्चों के लिए एकीकृत योजनाएँ आरम्भ की है।
8. स्वच्छ पेयजल - यूनीसेफ ने पथरीली भूमि वाले क्षेत्रों में जहाँ स्वच्छ जल नहीं मिलता था बोरिंग करवाने, जल स्रोत ढूढने के लिए उत्तम उपकरण प्रदान किए। स्थान-स्थान पर हैण्डपम्प लगवाकर स्वच्छ पेय जल की प्राप्ति सुलभ बना दी।
(World Health Organisation)
इस संगठन का पूरा नाम वर्ल्ड हैल्थ ऑरगनाइजेशन तथा अंग्रेजी में संक्षिप्त नाम WHO है। यह भी संयुक्त राष्ट्र संघ का विशेष संगठन है।
स्थापना - विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना 7 अप्रैल 1948 में हुई इसका मुख्यालय स्विट्जरलैण्ड स्थित जिनेवा में है। प्रतिवर्ष 7 अप्रैल को 'विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
उद्देश्य - विश्व के स्वास्थ्य स्तर में सुधार लाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन बना। इस संगठन का लक्ष्य विश्व में उच्चतम सम्भव स्वास्थ्य की समस्याएँ सुलझाना है। विशेषकर मलेरिया, चेचक, हैजा, प्लेग, पीतज्वर तथा अन्य संक्रामक रोगों के विरुद्ध काम करना, जिनका प्रभाव राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पड़ता है। आग्रह करने वाले देशों को विभिन्न क्षेत्रों में सुझाव और सहायता प्रदान करना भी विश्व स्वास्थ संगठन का उद्देश्य है।
कार्य क्षेत्र - इस संगठन के निम्नलिखित कार्यक्षेत्र है-
(i) मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य
(ii) पोषण,
(iii) पर्यावरणिक स्वास्थ्य
(iv) व्यावसायिक शिक्षा
(v) नसिंग
(vi) जन स्वास्थ्य
(vii) जन शिक्षा
(viii) मानसिक स्वास्थ्य।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्य
1. पोषण सम्बन्धी कार्य - विश्व स्वास्थ्य संगठन यूनिसेफ तथा एफ.ए.ओ. के साथ मिलकर कार्य करता है पोषक के क्षेत्र में इसके कार्य निम्नलिखित हैं
(1) पोषण स्तर तथा संक्रामक रोगों को रोकने की शक्ति का मूल्याकंन करना।
(2) पोषण विज्ञान की शिक्षा देना।
(3) पोषण सम्बन्धी, आहार सम्बन्ध सर्वेक्षण करना।
(4) व्यावहारिक पोषाहार कार्यक्रम (ANP)
(5) विश्व आहार कार्यक्रम (1963 में स्थापित World food programme) द्वारा सहयोग देना।
पोषण के क्षेत्र में WHO ने प्रोटीन कुपोषण दूर करने में सराहनीय प्रयास किए है। इसने INCAP के सहयोग से INCAPARINA नामक वनस्पति प्रोटीन मिश्रण बनाया, जिसे प्रोटीन न्यूनता से पीड़ित बच्चों में बाँटा गया।
2. विशेष रोगों से रक्षा एवं नियन्त्रण - संसर्गजन्य रोगों से बचाव की दिशा में WHO सतत् कार्यरत रहा है। इसका प्रशंसनीय कार्य विश्व में चेचक उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करना रहा है।
3. पारिवारिक स्वास्थ्य - WHO ने सन् 1970 से इस क्षेत्र में कार्य प्रारम्भ किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य परिवार को इकाई के रूप में लेकर चलते हुए मानव स्वास्थ्य सुधार की दिशा में प्रयास करना है। इसके अन्तर्गत मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की देखभाल मानव प्रजनन, स्वास्थ्य शिक्षा एवं पोषण के क्षेत्र में कार्य होते है।
4. पर्यावरणीय स्वास्थ्य - इसके अन्तर्गत जल, वायु एवं भोजन प्रदूषण की रोकथाम करना, विकिरण से रक्षा, नये तकनीकी विकास के फलस्वरूप उत्पन्न संकट से निपटना आदि कार्य आते है।
5. विस्तृत स्वास्थ्य सेवाओं का विकास - इसके अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचने योग्य स्वास्थ्य सेवाओं का विचार, कार्यक्रम निर्धारण, कार्यकर्त्ताओं का प्रशिक्षण, स्वास्थ्य सेवाओं सम्बन्धी शोधकार्य सम्मिलित है।
6. स्वास्थ्य सांख्यिकी - डब्ल्यू.एच.ओ. विश्व स्वास्थ्य के आँकड़े जिसके अन्तर्गत जन्मदर, मृत्युदर, रोगों से प्रभावित जनसमुदाय सम्बन्धी विवरण प्रकाशित करता रहता है। प्रत्येक दस वर्षों में इसका नवीनीकरण होता है।
7. स्वास्थ सम्बन्धी साहित्य एवं सूचनाएँ - WHO स्वास्थ्य सम्बन्धी सूचनाएँ एवं साहित्य सर्वसुलभ बनाने का कार्य करता है।
8. जीव चिकित्सीय अनुसंधान - WHO स्वयं अनुसंधान नहीं करता है किन्तु अनुसन्धान कार्यों को चलाने के लिए प्रेरित करता है। तत्सम्बन्धी विवरण समेकित करता है।
9. अन्य संगठनों के साथ सहयोग - WHO संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग स्थापित करने का कार्य करता है।
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- प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मूल्यांकन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- निगरानी के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निगरानी में कितने प्रकार के सूचकों का प्रयोग किया जाता है?
- प्रश्न- मूल्यांकन का अर्थ और विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- निगरानी और मूल्यांकन के बीच अंतर लिखिए।
- प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न प्रकारों को समझाइये।